Book Title: Jeev Vichar Prakaran
Author(s): Manitprabhsagar
Publisher: Manitprabhsagar

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Page 211
________________ RESERT जीव विचार प्रश्नोत्तरी STATION 366) पंचेन्द्रिय तिर्यंच की चार लाख योनियाँ किस प्रकार होती हैं ? उ. पंचेन्द्रिय तिर्यंच के 200 मूल भेद होते हैं जिन्हें 2000 उत्पत्ति स्थानों से गुणित करने ___ पर 4 लाख योनियाँ होती हैं। 367) पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीव कितने गुणठाणों में पाये जाते हैं ? उ. पांच गुणठाणों में - 1) मिथ्यादृष्टि 2) सास्वादन 3) मिश्र दृष्टि 4) अविरत सम्यक् दृष्टि 5) देशविरति। 368) जलचर जीवों के कितने भेद होते हैं ? उ. जलचर जीवों के संमूर्छिम एवं गर्भज रूप दो भेद होते हैं / ये दोनों पर्याप्ता-अपर्याप्ता की अपेक्षा से कुल चार भेद होते हैं। 369) स्थलचर तिर्यंच जीवों के कितने भेद होते हैं ? उ. चतुष्पद, उरपरिसर्प एवं भुजपरिसर्प के संमूर्छिम एवं गर्भज की अपेक्षा छह भेद होते हैं। ये छह भेद पर्याप्ता और अपर्याप्ता की अपेक्षा से कुल बारह भेद होते हैं। 370) खेचर तिर्यंच जीवों के कितने भेद होते हैं ? उ. संमूर्छिम एवं गर्भज दोनों पर्याप्ता एवं अपर्याप्ता होने से कुल चार भेद होते हैं। . 371) पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीवों के कुल कितने भेद होते हैं ? उ. बीस भेद। 372) असंज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रिय की गति-आगति बताओ ? उ. 179 आगति-१०१ संमूर्छिम मनुष्य, 30 कर्मभूमिज गर्भज पर्याप्ता एवं अपर्याप्ता, 48 तिर्यंच प्राणी। 395 गति-उपरोक्त 179 भेदों के अतिरिक्त 56 अन्तर्वीप के मनुष्य 10 भवनपति, 15 परमाधामी, 8 व्यंतर, 8 वाणव्यंतर, 10 तिर्यग्नुंभक, प्रथम नरक के नारकी, ये 108 भेद पर्याप्ता-अपर्याप्ता की अपेक्षा से 216 हुए / कुल 395 भेद हुए। 373) पांच संज्ञी तिर्यंच प्राणियों की आगति बताओ ? / उ. असंज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रिय की आगति के 179 भेदों के अतिरिक्त 10 भवनपति, 15 परमाधामी, ८व्यंतर, 8 वाणव्यंतर, 10 तिर्यग्मुंभक, १०ज्योतिष्क, 8 वैमानिक,

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