________________ 888888 जीव विचार प्रकरण 888888 शब्दार्थ ओगाहणा- अवगाहना आउ - आयु माणं - प्रमाण एवं - इस प्रकार संखेवओ - संक्षेप में समक्खायं - सम्यक् रूप से कहा गया जे-जो पुण - फिर भी इत्थ - यहाँ विसेसा - विशेष है. विसेस - विशेष सुत्ताउ - सूत्रों से ते - उनसे नेया - जानने चाहिये भावार्थ इस प्रकार अवगाहना और आयुष्य, इन दोनों द्वारों का प्रमाण संक्षेप में कहा गया है, अन्य भी जो विशेष है, वह विशेष सूत्रों से जानना चाहिये॥३९॥ तृतीय स्वकाय स्थिति द्वार का कथन ... एकेन्द्रिय जीवों की स्वकाय स्थिति गाथा एगिदिया य सव्वे असंख उस्सप्पिणी सकायम्मि / उववज्जंति चयंति य अणंतकाया अणंताओ // 40 // अन्वय सव्वे एगिदिया य अणंतकाया सकायम्मि असंख य अणंताओ उस्सप्पिणी उववजंति य चयंति // 40 // संस्कृत छाया एकेन्द्रियाश्च सवेऽसंख्येयोत्सर्पिण्यवसर्पिणः स्वकाये। उत्पद्यन्ते च्यवन्ते चानन्तकाया अनन्ताः / / 40 //