________________ STATISTRY जीव विचार प्रश्नोत्तरी STRETIRTERS 54) सूक्ष्म जीवों का अस्तित्व कहाँ तक हैं ? उ. जिस प्रकार अंजन की डिब्बी में अंजन भरा हुआ होता है, उसी प्रकार संपूर्ण चौदह राजलोक में सूक्ष्म जीव तूंस-ठुस कर भरे हुए हैं। सुई की नोंक जितना भाग भी खाली नहीं हैं। सुई की नोंक जितने स्थान में असंख्य श्रेणियाँ होती हैं। एक-एक श्रेणी में असंख्य प्रतर होते हैं। एक-एक प्रतर में असंख्य गोलक होते हैं। एक-एक गोलक में असंख्य औदारिक शरीर होते हैं और एक-एक शरीर में अनन्त-अनन्त जीव होते हैं। 55) किन-किन प्रसंगों में प्रसनाडी के बाहर भी त्रसकायिक जीवों का अस्तित्व विद्यमान होता हैं ? उ. 1) जब कोई तीर्थंकर भगवंत.या केवली भगवंत समुद्घात (शैलेषीकरण) करते हैं तब उनके आत्म प्रदेश सम्पूर्ण चौदह राजलोक में व्याप्त हो जाते हैं। उस वक्त त्रस नाडी के बाहर भी त्रस जीव की विद्यमानता होती हैं। 2) जिस त्रस जीव ने त्रस नाडी के बाहर स्थावर नाम कर्म का बंध कर लिया है, वह जीव जब मारणान्तिक समुद्घात करता है तब उसके आत्मप्रदेश त्रस नाडी के बाहर भी व्याप्त होने से त्रस नाडी के बाहर उसका अस्तित्व होता है। 56) पर्याप्ता जीव किसे कहते है ? उ. जो जीव स्वयोग्य पर्याप्तियाँ पूर्ण कर चुका है, वह पर्याप्ता जीव कहलाता है। जैसे एकेन्द्रिय जीव चार पर्याप्तियाँ पूर्ण करने के पश्चात् जीव पर्याप्ता कहलाता है। कान -आस्व -नाक जीभ चमडी चित्र : छह पर्याप्ति