________________ ENTERTISTIBE जीव विचार प्रश्नोत्तरी 8888RIBERS 3) गुल्म : विशेषतः फूलों के पौधों को गुल्म कहते है, जैसे चम्पा, जूही आदि। 4) लताः ऐसी बेलें जो वृक्षों पर चढ जाती हैं, लताएँ कहलाती हैं, जैसे नागलता, चम्पकलता आदि। 5) वल्ली: ऐसी बेलें, जो जमीन पर ही फैलती हैं, वल्ली कहलाती है, जैसे तरबूज, ककडी आदि की बेलें। 6) पर्वक : जिन वनस्पतियों के बीच में गांठें हो, वे पर्वक वनस्पतियाँ कहलाती हैं, जैसे बेंत, इक्षु आदि। 7) तृण : हरी घास को तृण कहते है, जैसे कुश, अर्जुन आदि। .. 8) वलय : गोल-गोल पतों वाली वनस्पतियाँ वलय कहलाती हैं, जैसे ताड, केले आदि। 9) औषधि : जो वनस्पति पक जाने पर अन्न एवं फसल दोनों रूप में होती है, औषधि कहलाती है, जैसे मसूर, तिल, गेहं आदि। 10) हरितः हरी साग-भाजी को हरित कहते है , जैसे चंदलिया, वथुआ आदि। 11) जलरूह : जल में उत्पन्न होने वाली वनस्पति जलरूह कहलाती है, जैसे पनक, शैवाल आदि। 12) कुहण : भूमि को तोडकर निकलने वाली वनस्पतियाँ कुहण कहलाती है, जैसे छत्राभ (कुकुरमुत्ता) आदि। . 134) वनस्पतिकायिक जीवों के संवर्भ में विस्तार से बताईये ? उ. वनस्पतिकाय में अनेक विशेषताएँ होती हैं। 1) शब्द ग्रहण शक्ति- कंदल, कुंडल आदि वनस्पतियाँ मेघ गर्जना से पल्लवित होती हैं। 2) आश्रय ग्रहण शक्ति- बेलें, लताएँ दीवार, वृक्ष आदि का सहारा लेकर वृद्धि को प्राप्त करती हैं। 3) सुगन्ध ग्रहण शक्ति- कुछ वनस्पतियाँ सुगन्ध पाकर जल्दी पल्लवित होती हैं। 4) रस ग्रहण शक्ति - ऊख आदि वनस्पतियाँ भूमि से रस ग्रहण करती हैं। 5) स्पर्श ग्रहण शक्ति-कुछ वनस्पतियाँ स्पर्श पाकर फैलती है और कुछ संकुचित होती -