________________ 876880 जीव विचार प्रकरण M ORE चतुर्थ प्राण द्वार का कथन एकेन्द्रिय व विकलेन्द्रिय के प्राणों का निरुपण गाथा दसहा जिआण पाणा, इन्दिय-ऊसास-आउ-बल-रुवा / एगिदिएसु - चउरो, विगलेसु छ सत्त अट्टेव // 42 // अन्वय जिआण इंदिय-ऊसास-आउ-बल रुवा दसहा पाणा एगिदिएसु चउरो विगलेसु छ सत्त अट्टेव // 42 // .. . .. संस्कृत छाया . .. दशधाः प्राणः इन्द्रियोच्छ्वासायुर्बल रुपाः। एकेन्द्रियेषु चत्वारो विकलेषु षट् सप्त अष्टैव // 42 // .. शब्दार्थ .. दसहा - दस प्रकार के जिआण - जीवों के पाणा - प्राण इन्दिय - इन्द्रियाँ (पांच) ऊसास - श्वासोच्छ्वास आउ - आयुष्य बल - बल (तीन) रुवा - रुप एगिदिएसु - एकेन्द्रियों में चउरो- चार विगलेसु-विकलेन्द्रियों में छ - छह सत्त-सात. अट्टेव - आठ ही भावार्थ जीवों में इन्द्रिय (पांच), बल (तीन), श्वासोच्छ्वास एवं आयु रुप दस प्रकार के प्राण होते हैं / एकेन्द्रिय जाति में चार, द्वीन्द्रिय जाति में छह, त्रीन्द्रिय जाति में सात और चतुरिन्द्रिय जाति में आठ प्राण होते हैं // 42 //