________________ - SPETASSETTERBERISE जीव विचार प्रकरण PRESENTS उपसंहार गाथा एसो जीव वियारो संखेवरुईण जाणणा हेऊ / संखित्तो उद्धरियो रुद्दाओ सुय - समुद्दाओ // 51 // अन्वय एसो जीव वियारो संखेवरुईण जाणणा हेऊ रुद्दाओ सुय समुद्दाओ उद्धरियो संखित्तो // 51 // संस्कृत छाया एष जीव विचारः संक्षेपरुचीनां ज्ञान हेतोः / संक्षिप्त उद्धृतो रुन्द्रात् श्रुतसमुद्रात् // 51 // शब्दार्थ एसो - यह जीव - जीव वियारो - विचार .. संखेव - संक्षेप रुईण - रुचि वालों के जाणणा - जानने के हेऊ-लिये संखित्तो - संक्षेप में उद्धरियो - उद्धृत किया है रुद्दाओ- अतिविशाल सुय - श्रुत समुद्दाओ - समुद्र में से भावार्थ यह जीव विचार संक्षेप रुचि वाले के जानने के लिये अतिविशाल श्रुत समुद्र में से संक्षेप में उद्धृत किया गया है // 51 // विशेष विवेचन परमात्मा महावीर के आगम जितने विशाल हैं, उतने ही गहन भी हैं। श्रीजीवाजीवाभिगम सूत्र, प्रज्ञापना सूत्र, भगवती सूत्र आदि अनेक ग्रन्थों में जीव तत्त्व का विशद वर्णन उपलब्ध है पर ये आगम इतने गहन एवं विशाल है कि उनका अध्ययन कर पाना हर किसी