________________ - BRETRESENSE0 जीव विचार प्रकरण R BIR8 विशेष विवेचन प्रस्तुत गाथा में दस प्राणों की विवेचना के साथ एकेन्द्रिय एवं विकलेन्द्रिय जीवों के प्राणों का भी वर्णन किया गया है। * जिन शक्तियों से जीवन चलता है, वे प्राण कहलाते हैं। * जिन शक्तियों को जीव धारण करता है, वे प्राण कहलाते हैं। प्राण के दस प्रकार (1) स्पर्शनेन्द्रिय प्राण (2) रसनेन्द्रिय प्राण (3) घ्राणेन्द्रिय प्राण (4) चक्षुरिन्द्रिय प्राण (5) श्रोत्रेन्दिय प्राण (6) मन बल प्राण (7) वचन बल प्राण (8) काय बल प्राण (9) श्वासोच्छ्वास प्राण (10) आयुष्य प्राण (अ) एकेन्द्रिय जीवों (पृथ्वीकार्य, अप्काय, तेउकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय) में चार प्राण होते हैं(१) स्पर्शनेन्द्रिय प्राण (2) काय बल प्राण(३) श्वासोच्छ्वास प्राण (4) आयुष्य प्राण (आ) द्वीन्द्रिय जीवों में उपरोक्त चार बलों के अतिरिक्त दो और प्राण होते हैं(१) रसनेन्द्रिय प्राण (2) वचन बल प्राण, इस प्रकार छह प्राण होते हैं। . (इ) त्रीन्द्रिय जीवों में उपरोक्त छह प्राणों के अलावा घ्राणेन्द्रिय प्राण सहित सात प्राण होते हैं। (ई) चतुरिन्द्रिय जीवों में उपरोक्त सात प्राणों के अतिरिक्त चक्षुरिन्द्रिय प्राण सहित आठ होते हैं। संज्ञी और असंज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों में प्राण गाथा असन्नि-सन्नि पंचिदिएस, नव-दस कमेण बोधव्वा / तेहिं सह विप्पओगो जीवाणं भण्णए मरणं // 43 // अन्वय असन्नि-सन्नि पंचिंदिएसु कमेण नव-दस बोधव्वा तेहिं सह विप्पओगो जीवाणं मरणं भण्णए // 43 //