________________ TERRIBE जीव विचार प्रकरण ARTIST संस्कृत छाया खेचराणां धनुः पृथक्त्वम् भुजगानामुरगाणां च योजन पृथक्त्वम् / गव्यूतिपृथक्त्वमात्राः संमूर्छिमाश्चतुष्पदा भणिताः // 31 // शब्दार्थ खयरा - खेचर धणुह-पहुत्तं - धनुष्य पृथक्त्व भुयगा - भुजपरिसर्प उरगा - उरपरिसर्प - य - और जोयण - योजन पहुत्तं - पृथक्त्व गाउअपहुत्तं - गाउ पृथक्त्व मित्ता - माप वाले समुच्छिमा - संमूर्छिम चउप्पया - चतुष्पद भणिया - कहे गये हैं ___ 'भावार्थ संमूर्छिम खेचर एवं संमूर्छिम भुजपरिसर्प की अवगाहना धनुष्य पृथक्त्व, संमूर्छिम उरपरिसर्प की अवगाहना योजन पृथक्त्व एवं संमूर्छिम चतुष्पद की अवगाहना गव्यूत पृथक्त्व की होती है // 31 // . विशेष विवेचन ... संमूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंच प्राणियों की उत्कृष्ट अवगाहना का इस गाथा में वर्णन है / संमूर्छिम खेचर की उत्कृष्ट अवगाहना - धनुष्य पृथक्त्व संमूर्छिम भुजपरिसर्प की उत्कृष्ट अवगाहना - धनुष्य पृथक्त्व ...... संमर्छिम उरपरिसर्प की. उत्कृष्ट अवगाहना - योजन पृथक्त्व. ........ संमूर्छिम चतुष्पद की उत्कृष्ट अवगाहना - गव्यूत पृथक्त्व... - गर्भज चतुष्पद एवं मनुष्य की अवगाहना : 11 .. . गाथा छच्चेव गाउ आइं चउप्पया गन्भया मुणेयव्वा / कोस तिगं च मणुस्सा, उक्कोस सरीर माणेणं // 32 //