________________ REET जीव विचार प्रकरण REARRING विशेष विवेचन . प्रस्तुत गाथा में देवताओं की अवगाहना का विवेचन है / * भवनपति, व्यंतर, वाणव्यंतर, तिर्यग्मुंभक, परमाधामी, ज्योतिष्क, प्रथम तथा द्वितीय देवलोक एवं पहले किल्बिषिक के देवों की अवगाहना सात हाथ की होती है / * तीसरे एवं चौथे देवलोक तथा दूसरे किल्बिषिक के देवों की अवगाहना छह हाथ की होती है। * पांचवें एवं छठे देवलोक, नवलोकांतिक एवं तीसरे किल्बिषिक के देवों की अवगाहना पांच हाथ की होती है। * सातवें एवं आठवें देवलोक के देवों की अवगाहना चार हाथ की होती है / * नवमें, दसवें, ग्यारहवें एवं बारहवें देवलोक के देवों की अवगाहना तीन हाथ की होती * नवग्रैवेयक देवों की अवगाहना दो हाथ की होती है / * पांच अनुत्तर विमान के देवों की अवगाहना एक हाथ की होती है / / यहाँ अवगाहना द्वार का कथन परिपूर्ण होता है। द्वितीय आयुष्य द्वार का कथन एकेन्द्रिय जीवों का उत्कृष्ट आयुष्य गाथा बावीसा पुढवीए सत्त य आउस्स तिन्नि वाउस्स। . वास सहस्सा दस तरु-गणाणं तेउ तिरत्ताउ // 34 // अन्वय पुढवीए आउस्स वाउस्स तरु गणाणं बावीसा सत्त तिन्नि य दस वास सहस्सा तेऊ तिरत्ताउ // 34 // संस्कृत छाया द्वाविंशतिः पृथिव्या सप्तअप्कायस्य त्रीणि वायुकायस्य / वर्ष सहस्रा दश तरुगणानां तेजस्कायस्य त्रीण्यहो रात्र्यायुः॥३४॥