________________ EATE जीव विचार प्रकरण ARTISTERS शब्दार्थ बावीसा - बावीस पुढवीए - पृथ्वीकाय की सत्त - सात य- और आउस्स - अप्काय की तिन्नि - तीन वाउस्स - वायुकाय की वास - वर्ष सहस्सा - सहस्र, हजार दस - दस तरु गणाणं - प्रत्येक वनस्पतिकाय की| तेउ - अग्निकाय की तिरत्त - तीन अहोरात्र की आउ - आयुष्य भावार्थ पृथ्वीकायिक जीवों की, अप्कायिक जीवों की, अग्निकायिक जीवों की, वायुकायिक जीवों की तथा प्रत्येक वनस्पतिकायिक जीवों की आयु क्रमशः बावीस हजार वर्ष, सात हजार वर्ष, तीन अहोरात्र, तीन हजार वर्ष, दस हजार वर्ष है।॥३४॥ विशेष विवेचन साधारण वनस्पतिकाय के अलावा पृथ्वीकायादि पांचों स्थावर प्राणियों का उत्कृष्ट आयुष्य प्रस्तुत गाथा में कहा गया है / ये पांचों ही सूक्ष्म की अपेक्षा से नहीं, बादर की अपेक्षा से कहे गये हैं• बादर पृथ्वीकायिक जीवों की उत्कृष्ट आयु - 22 हजार वर्ष * बादर अप्कायिक जीवों की उत्कृष्ट आयु - 7 हजार वर्ष * बादर अग्निकायिक जीवों की उत्कृष्ट आयु - 3 अहोरात्र * बादर वायुकायिक जीवों की उत्कृष्ट आयु - 3 हजार वर्ष * प्रत्येक वनस्पतिकायिक जीवों की उत्कृष्ट आयु - 10 हजार वर्ष * प्रत्येक वनस्पतिकाय सूक्ष्म नहीं होती हैं, वह केवल बादर ही होती है। . अहोरात्र का क्या अर्थ है ? दिन और रात (24 घण्टे) को अहोरात्र कहते हैं।