________________ RARASHRI जीव विचार प्रकरण STRIBAR पांच देवकुरु के मनुष्यों का आयुष्य भी तीन पल्योपम का होता है। चतुष्पद तिर्यंचों का आयुष्य भी मनुष्य की भाँति ही समझना चाहिये / देव और नारकी जीवों का जघन्य आयुष्य दस हजार वर्ष और मनुष्य तथा तिर्यंच का जघन्य आयुष्य अन्तर्मुहूर्त का होता है। गर्भज पंचेन्द्रिय तिर्यंच की उत्कृष्ट आयु . गाथा जलयर-उर-भुयगाणं, परमाऊ होई पुव्व-कोडीओ। पक्खीणं पुण भणियो असंखभागो य पलियस्स // 37 // .. अन्वय . जलयर उर भुयगाणं परमाऊ पुव्वकोडिओ होई पुण य पक्खीणं पलियस्स असंखभागो भणिओ // 37 // संस्कृत छाया जलचरोगम्भूजगानां परमायुर्भवति पूर्वकोटि तु / पक्षिणां पुनर्भणितोऽसंख्येयभागश्च पल्योपमस्य // 37 // ' शब्दार्थ जलयर - जलचर की उर - उरपरिसर्प की भुयगाणं - भुजपरिसर्प की परम - उत्कृष्ट आऊ - आयु होई - होती है पुव्वकोडीओ - पूर्वकोटि की पक्खीणं - पक्षिओं की, खेचर की पुण - एवं .. भणियो - कही गयी है। असंख - असंख्यातवां भागो - भाग, प्रमाण ___य - और . पलियस्स - पल्योपम का . भावार्थ जलचर, उरपरिसर्प और भुजपरिसर्प प्राणियों की उत्कृष्ट आयु पूर्व करोड (पूर्वकोटि) की होती है / खेचर (पक्षियों) प्राणियों की उत्कृष्ट आयु