________________ - हय .. 888 जीव विचार प्रकरण ENTRIES अन्वय गब्भया चउप्पया छच्चेव गाउ आइंच मणुस्सा उक्कोस सरीर माणेणं कोस तिगं मुणेयव्वा // 32 // संस्कृत छाया षडगव्यूतय एवं चतुष्पदा गर्भजा ज्ञातव्याः / / कोशत्रिकं च मनुष्या: उत्कृष्ट शरीर मानेन : // 32 // शब्दार्थ छच्चेव - छह ही गाउआई - गव्यूत चउप्पया - चतुष्पद गब्भया - गर्भज मुणेयव्वा - जानना चाहिये कोस - कोस, गाउ तिगं- तीन च - और मणुस्सा - मनुष्य उक्कोस - उत्कृष्ट सरीर - शरीर (अवगाहना) माणेणं - मान-प्रमाण की अपेक्षा से भावार्थ गर्भज चतुष्पद एवं गर्भज मनुष्य का उत्कृष्ट रूप से शरीर का प्रमाण क्रमशः छह गाउ और तीन गाउ जानना चाहिये // 32 // विशेष विवेचन प्रस्तुत गाथा में गर्भज चतुष्पद एवं गर्भज मनुष्य की उत्कृष्ट अवगाहना कही गयी है / गर्भज चतुष्पद की छह कोस की जो उत्कृष्ट अवगाहना कही गयी है, वह देवकुरु एवं उत्तरकुरु क्षेत्र के चतुष्पद प्राणियों की होती है। तीन कोस की उत्कृष्ट अवगाहना देवकुरु और उत्तरकुरु क्षेत्र के युगलिकों की होती हैं एवं भरत और ऐरावत क्षेत्र के अवसर्पिणी के प्रथम आरे के युगलिकों की होती हैं।