________________ SHETRIBANSH जीव विचार प्रकरण M OSTS अवगाहना दुगुनी हाती है, इस प्रकार सातवीं नरक तक समझनी चाहिये / इसे इस प्रकार भी कह सकते हैं कि सातवीं नरक के नारकी जीवों की अपेक्षाकृत छट्ठी नरक के के नारकी जीवों की अवगाहना आधी होती है / इसी प्रकार प्रथम नरक तक जाननी चाहिये। गर्भज तिर्यंच प्राणियों की अवगाहना गाथा जोयण सहस्स माणा मच्छा उरगा य गन्भया हुंति / धणुह-पहुत्तं पक्खिसु भुयचारी गाउअ-पहुत्तं // 30 // अन्वय . मच्छा य गब्भया उरगा जोयण सहस्स-माणा हुंति पक्खिसु धणुह-पहुत्तं पक्खिसु भुयचारी गाउअ-पहुत्तं // 30 // .... संस्कृत छाया योजन सहस्र माना मत्स्या उरगाश्च गर्भजा भवन्ति / धनुः पृथक्त्वं पक्षिषु भुजपरिसर्पाणां गव्यूत पृथक्त्वम् // 30 // शब्दार्थ जोयण - योजन . सहस्स - हजार माणा - मान, प्रमाण मच्छा - मछलियाँ (जलचर जीव) उरगा - उरपरिसर्प य - और गब्भया - गर्भज हुंति - होते हैं धणुह - धनुष्य पहुत्तं - पृथक्त्व पक्खिसु - पक्षियों में भुयचारी -भुजपरिसर्प . गाउअ - गाउ, गव्यूत पहुत्तं - पृथक्त्व भावार्थ मछलियाँ इत्यादि जलचर जीवों की और गर्भज उरपरिसर्प जीवों की अवगाहना हजार योजन की होती है / पक्षियों अर्थात खेचर जीवों की