________________ 2 8 जीव विचार प्रकरण 8888888 . 19) खेचर संमूर्छिम पर्याप्ता 20) खेचर संमूर्छिम अपर्याप्ता संमूर्छिम एवं गर्भज संमूर्छिम - माता- पिता (नर-नारी) के संयोग / शारीरिक संबंध के बिना बाह्य संयोग प्राप्त करके पैदा होने वाले जीव संमूर्छिम कहलाते हैं। यहर चित्र : संमूर्छिम जीवों के उत्पत्ति स्थान गर्भज- वे जीव, जो माता-पिता (नर-नारी) के संबंध से पैदा होते हैं, वे गर्भज कहलाते हैं। एकेन्द्रिय (पृथ्वीकाय, अप्काय, तेउकाय, वाउकाय, वनस्पतिकाय) द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, और चतुरिन्द्रिय जाति के जीवों का केवल संमूर्छिम जन्म ही होता है / वे गर्भज नहीं होते पंचेन्द्रिय तिर्यंच एवं मनुष्य में गर्भज एवं संमूर्छिम दोनों भेद होते हैं। पंचेन्द्रिय तिर्यंच के दोनों भेद पर्याप्त और अपर्याप्त अवस्था में पाये जाते है। गर्भज मनुष्य पर्याप्ता और अपर्याप्ता होते हैं। संमूर्छिम मनुष्य अपर्याप्ता अवस्था में ही मर जाते है / वे पर्याप्ता नहीं होते हैं। संमूर्छिम जीवों की उत्पत्ति के प्रकार - एकेन्द्रिय एवं द्वीन्द्रिय जाति के जीव उत्पत्ति के संयोग मिल जाने पर अपनी जाति के जीवों के आस पास पैदा हो जाते हैं। - त्रीन्द्रिय जाति के जीव स्वजातीय जीवों के मल, विष्टा आदि में उत्पन्न होते हैं। - चतुरिन्द्रिय जाति के जीव स्वजातीय जीवों के मल, लार आदि में उत्पन्न होते हैं।