________________ 880 जीव विचार प्रकरण ARREST प्राविका रुप चतुर्विध संघ की स्थापना करते हैं। अतीर्थकर सिद्ध - वे जीव, जो तीर्थंकर नहीं बनते हैं, सामान्य केवली अवस्था में मोक्षधाम को उपलब्ध करते हैं, वे अतीर्थंकर सिद्ध कहलाते हैं, जैसे गौतम गणधर, पुण्डरिक स्वामी आदि / इन पच्चीस गाथाओं में संसारी जीव के 563 भेद विस्तार से उदाहरण सहित बताये गये हैं एवं सिद्धात्माओं के भी पन्द्रह भेद बताये गये हैं।