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२२
१६.
करोड़ देवों का वास है ।
अकाल मरण पाने वाले
व्यक्ति को विधि करके
मोक्ष में पहुंचा सकते है ।
१७. श्राद्ध करना चाहिए । १८. हिन्दुधर्म में पितृ लोगों
को परेशान कर सकते है १९. पंच महाभूतो को मानते है ।
२२. वर्ण व्यवस्था स्वीकृत है २३. शुद्र (दलित) साधु नहीं हो सकता ।
२४. राम भगवान है । २५. कृष्ण की स्त्री संबंधी
प्रवृत्ति एक लीला है ।
२६. कर्म की व्याख्या अलग अलग है ।
२७. भगवान युद्ध की प्रेरणा कर सकते हैं ।
२८. बकरों - घोडा आदि के होम से मोक्ष मिलता है ।
जैनत्व जागरण......
कोई अंग में देवों का वास भला कैसे हो सकता है ?
१६. जैन धर्म के अनुसार यह महामिथ्यात्व है ।
२०. वेदो में हिंसा का समर्थन है । २०. २१. साधु शाप दे सकते हैं
( मिथ्यात्व = गलत समजना) एसा करने से खुद को तर्क मिलती है। १७. श्राद्ध कभी भी नहीं हो सकता । १८. जैन धर्म में पितृ का स्थान व अस्तित्व ही नहीं है । १९. पंच महाभूतो से धर्म का कोई संबंन्ध नहीं है ।
वेद कभी हिंसा करना नहीं बताता. २१. शाप देनेवाले कभी भी साधु नहीं हो सकते ।
२२. वर्ण व्यवस्था अस्वीकृत है । २३. सभी साधु जन सकते है मेतार्य
मुनि, हरिकेशी चंडाल वगैरह. २४. राम सिर्फ अच्छे राजा है 1 २५. यह कोई लीला नही बल्कि संसार पोषक प्रवृत्ति है ।
२६. कर्म की व्याख्या एक है ।
२७. वो भगवान ही क्या जो युद्ध करें !
२८. होम-हवन से मोक्ष नहीं केवल नर्क ही मिलती है ।