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जैनत्व जागरण......
६.
७.
८.
राधा-कृष्ण वगैरह
प्रभु अकेले होने से थक गए इसलिए उन्होंने पृथ्वी का
सर्जन किया ।
है ।
उपवास में फलाहार वं आलू आहार होता है ।
बड़े ऋषि पत्नीधारी होते
है जैसे की
पृथ्वी स्वयं संचालित है ।
ब्रह्मा-विष्णु-महेश जगत की ७. जो पालन - संहार करते है वे
रचना - पालन व संहार
कभी भगवान नही हो सकते । क्योंकि प्रभु वीतरागी है ।
८. उपवास में सिर्फ पक्का पानी पी सकते है, वो भी कुछ
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६.
अत्रि
अनसुया, काश्यप
अदिती, वसिष्ठ - अरुन्धति आदि
१०. मेनका द्वारा पतित विश्वमित्र जैसे ऋषि के रुप में चल है ।
११. ऋषि बच्चे के लिए तप आदि करते है
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जैन धर्म रागी - देव नहीं मानता.
प्रभु कभी अकेले थे ही नहीं । अकेले थे तो वे कहाँ से आए ?
समय तक.
९. जैन धर्म में पत्नी हो तो ऋषि (मुनि) बनने से पहले ही त्याग करना पड़ता है।
१०. एक बार पतित को घर वापस भेज देते है ।
१९. ऋषि को पत्नी ही नहीं होनी चाहिए तो बच्चे की भला क्या कल्पना.
१३. बालक के संभवित मृत्यु से ऋषि डरते थे ।
१२. राजा ईश्वर का अंग होता है। १२. राजा एक सामान्य मानवी ही है । १३. यह आर्तध्यान है, साधु को बहु प्रायश्चित मिलता है । १४. जैन धर्मानुसार गाय सिर्फ चतुष्पद प्राणी है ।
१४. हिन्दु धर्म के अनुसार गाय माता है।
१५. गाय की पूंछ में तेंतीस
१५. विष्टा आदि खाने वाले प्राणी के