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जैनत्व जागरण......
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हैं किन्तु आवश्यकता है उनके क्रियान्वण की । अब हमें प्रमाद नहीं करना है - आगे बढते जाना है। अभी नहीं, तो कभी नहीं । आप अपने २५ लाख से भी अधिक जैनत्व भूल चुके भाईयों-बहनों के जैन धर्म में पुनः प्रवेश के ऐतिहासिक प्रसंग के साक्षी बनोगे । चलो अपने खोए हुए भाईयो को अपने आंगण में वापस लाने का प्रयत्न करे ।
बिना पंथभेद
बिना लालच
बिना उम्मीद
बिना नाम
वीर पुत्रों ।
उठो,
अब चल पडो... - हीमांशु जैन