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जैनत्व जागरण.......
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सराक क्षेत्रों में अनेकों प्रतिमाएँ प्राप्त होती है । सराक भाई को जैनधर्म में स्थिर करके उन्हें ज्ञान प्रदान किया जाए एवं प्रत्येक क्षेत्र में जिनमंदिर की प्रतिष्ठा की जा सकती है ।
गुरु भगवन्तों की निश्रा में सराक क्षेत्रों से सराक भाईयो का सम्मेद शिखर जी, आदि तक की यात्रा । छरी पालित संघ निकाला जा सकता है जो निश्चित उनमें जैनत्व का बीजाकुरण करेगा ।
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यहाँ धर्म कम होते हुए भी २० लोग यहाँ से दीक्षित हैं। साधु-साध्वीजी की प्रतिबोध कुशलता से प्रत्येक क्षेत्र में सराकों को दीक्षा के लिए भी प्रेरित किया जा सकता है । फलस्वरुप, बंधुओं को जैन श्रमण के रुप में देख सम्पूर्ण क्षेत्र के लोग जैन धर्म में अनुरक्त होंगे । सराक भाईयों में जैनत्व जागरण हेतु गुरु भगवंत दवारा रचित, सम्पादित, प्रकाशित साहित्य (विशेषकर सराकों की मातृभाषा में) प्रचारित करना चाहिए ।
आचार्य भगवन्त कुशल प्रशिक्षण द्वारा धर्मप्रचारक मण्डल तैयार कर इन क्षेत्रों में भेजे जा सकते हैं। शिविर, पाठशाला, उपधान आदि के द्वारा सराक बंधुओं के पुनः श्रावक बनाया जा सकता है । देव-गुरु- धर्मोपासक श्रावक-श्राविका गण से निवेदन
सम्मेद शिखर आदि तीर्थों की यात्रार्थ पधारने वाले श्रावक-श्राविका गण सराक क्षेत्र में निर्मित जिनमंदिरों के दर्शनार्थ एव यहाँ यत्र-तत्र जैन धर्म के पुरातात्त्विक अवशेषों के अवलोकन करने पधारें, नया अनुभव मिलेगा ।
कोई विशेष उद्योग-व्यापार के मालिक हों, तो अपने उद्योग आदि में सराक जाति को जोड़े एवं अपने व्यापार में उनका भाग रखें । किसी का होलसेल आदि का व्यापार ही, प्रभु फोटो, वगैरह देकर साधर्मिक भक्ति का लाभ ले एवं स्वयं इन सब वस्तुओं
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