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जैनत्व जागरण......
हृदय की अभिलाषा "जैनं जयति शासनम्'
'अन्यथा शरणं नास्ति"... हमारे जैन धर्म को मानने वाले वीतराग के मन्दिरों से अन्यत्र न जाए आज कईओंने भगवान के मन्दिरो में न जा कर अन्यत्र शरण ली है। धीरे-धीरे जैन धर्म लुप्त हो रहा है । करोड़ों से लाखो में आ गए है हम |
जैन धर्मी इतना ख्याल रखें...
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जैन धर्मी महाजन है। अपना छोटा भी व्यापार होना चाहिए। नौकरीJob आदि जैन धर्मी की शोभा नहीं है ।
→ अपने व्यापार में जैन धर्मी को ही रखें व जैन धर्मी अन्य साधर्मिक को आगे बढ़ाने का कार्य करें ।
→ बडे बडे शहरो का मोह छोडकर अपने निज मातृभूमि में रहें। अपने मूल मातृभूमि में अपना मकान अवश्य रखें। जब आपत्ती आएगी बहुत काम आएगा ।
अन्य देव-देवी, अन्य मन्दिर, अन्य ज्योतिष वगैरेह । पितृ अर्पण वगैरह जैन धर्म मे नहीं है ।
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अन्य धर्म में विवाह (शादी) ना करें ।
मांसाहार से व मांसाहारियों से दूर रहें । अपने शिर पर एक जैन गुरु रखें
मन्दिर जाएँ, कंदमूलादि का त्याग करें व रात्रिभोजन न करे । भारत देश् छोडकर ना जाएँ । क्योंकि देखने में foreign शब्द अच्छा
है लेकिन वास्तव में खतरनाक है ।
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हो सके उतना साधु-साध्वीजी के परिचय में रहे । उनकी सेवा भक्ति करें ।
→ दीन में कम से कम १ घंटा जैन धर्म के लीए नीकाले ।
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भूषण शाह