Book Title: Jainagam Sukti Sudha Part 01
Author(s): Kalyanrushi Maharaj, Ratanlal Sanghvi
Publisher: Kalyanrushi Maharaj Ratanlal Sanghvi
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दुर्लभांग-शिक्षा सूत्र
(१) उत्तम धम्म सुई हु दुल्लहा ।
उ०, १०, १८ टीका-उत्तम, श्रेष्ठ धर्म को-दान, शील, तप और भावनामय चारित्र को सुनने का प्रसंग मिलना अत्यत दुर्लभ है । अतएव सुयोग से प्राप्त संयोग का लाभ उठाने मे जरा भी भूल नहीं करना चाहिये।
(२) सुई धम्मस्स दुल्लहा।
उ०, ३, ८ टीका-धर्म की, मोक्ष मार्ग के कारणो की, आत्मोन्नति के गुणों की, ज्ञान-दर्शन-चारित्र के स्वरूप की बाते सुनने का, उपदेश न्सुनने का अवसर प्राप्त होना अत्यंत कठिन है। पुण्य का उदय होने पर ही धर्म के सुनने का प्रसंग मिला करता है।
( ३) सद्दहणा पुणरावि दुल्लहा ॥
उ०, १०, १९ टीका श्रेष्ठ धर्म को सुनने का प्रसंग मिल जाने पर भी उसके प्रति श्रद्धा होना, उसपर विश्वास आना अत्यन्त कठिन है। इसलिये अहिंसा प्रधान धर्म से कभी भी विचलित नहीं होना चाहिए !