Book Title: Jainagam Sukti Sudha Part 01
Author(s): Kalyanrushi Maharaj, Ratanlal Sanghvi
Publisher: Kalyanrushi Maharaj Ratanlal Sanghvi
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जान-सूत्र टीका-सदैव स्वाध्याय मे ही लगे रहना चाहिये, ज्ञान बढाने वाली पुस्तके पढने मे ही सलग्न रहना चाहिए। क्योकि ज्ञान ही उन्नति का मार्ग-दर्शक है।
_ (१९ ) - सुयस्स पुण्णा विउलस्स ताइणो, खवित्त कम्म गइ मुत्तमं गया।
उ०, ११, ३१ टीका-विपुल अर्थ वाले श्रुत ज्ञान के धारक और षट् काय जीवों की रक्षा करने वाले, ऐसे बहुश्रुत ज्ञानी और दयाशील आत्मार्थी महापुरुप कर्मों का क्षय करके उत्तम गति को यानी मोक्ष को प्राप्त हुए है । यही आदर्श हमारे सामने भी होना चाहिये।
(२०) वसे गुरुकुले निरचं।
उ०, ११, १४ ____टीका-शिक्षार्थी, ज्ञानार्थी, नियम पूर्वक ज्ञान-प्राप्ति के लिये और आचरण शुद्धि के लिये गुरुकुल में अथवा ऋषि महात्माओ की सगति में वास करे। इसी प्रकार अपना जीवन-भाग वितावे।