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(थ) महाराज साहिब की भाषा
बोल वाले की भाषा महाराज जी के पूर्वज चिर काल से पिण्डदादनखां (जिला जेहलम ) में निवास करते थे * । उन के माता पिता का जन्म इसी प्रदेश में हुआ था, अतः दृढ अनुमान है कि वे यहां की ही भाषा बोलते होंगे । सर् जार्ज ग्रियर्सन की जांच के अनुसार इस प्रदेश की भाषा एक प्रकार की लहन्दी है । । जिस की कुछ विशेषताएं नीचे दी जाती हैं। महाराज जी के जन्म से कुछ समय पहले उन के माता पिता सरकारी नौकरी के कारण हरी के पत्तन में आ रहे थे, और रिटायर होने पर वहीं रहने लगे। कुछ काल के पश्चात् जीरा के निकट लहरा ग्राम (जिला फीरोज़पुर) में आ रहे, जहां महाराज जी का जन्म हुआ *। यहां की भाषा मालवई पजाबी है । महाराज का शैशव काल लहरा ग्राम में ही वीता, वहीं उन का भरण पोषण हुआ । इस से हम कह सकते हैं कि दीक्षा लेने के पूर्व महाराज जी दो भाषाएं वोलते होंगे-घर में माता पिता के साथ लहन्दी और गांव
*. देखिये-"तत्वनिर्णयप्रासाद"-जीवन चरित, पृ०३३-३४ + देखिये-सर् जार्ज ग्रियर्मन् द्वारा सम्पादित, "लिंग्विस्टिक
सर्वे ऑव इण्डिया" पुस्तक ८, भाग १ । $ देखिये-लिग्विस्टिक . पु. ६, भाग १ ।