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जैन श्रमण : स्वरूप और समीक्षा
इस प्रकार कई दृष्टियों से यह शोध प्रबन्ध बहुत उपयोगी सूचनाओं से भरा हुआ है। निर्भीक होकर, अथक परिश्रम से सम्पन्न इस स्तरीय शोध कार्य में इसके लेखक ने मुनिधर्म के ऊपर सर्वांग विचार किया है। उसकी हम प्रशंसा करते हैं, और इसके लिए डॉ. योगेश चन्द्र जैन हमारी तरफ से स्तुति के पात्र हैं। यदि समाज में ऐसे निबन्धों का सिलसिला चल जाये, तो सम्भव है कि समाज में कुछ बदलाव आएगा, और मुनिधर्म में विकृति का अभाव होना सम्भव हो सकेगा। हम उसकी प्रतीक्षा में हैं।
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फूलचन्द्र शास्त्री हाल- हस्तिनापुर क्षेत्र
12-6-88.