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सेन पूजा पाठ सप्रह
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ज्ञायकके आकार ममत्व निवारिक,
सो परमातम सिद्ध नमूं शिरनायकै ॥२॥
सवैया ध्यान हुताशनमें अरि ईधन झोंक दियो रिपु रोक निवारी। शोक हस्यो भविलोकनको वर केवलज्ञान मयूख उपारी॥ लोक अलोक विलोक भये शिव जन्म जरामृत पक्ष पखारी। सिद्धन थोक बस शिव लोक तिन्हें पग धोक त्रिकाल हमारी॥. तीरय नाथ प्रनाम करें तिनके गुण वर्णन मैं युधि हारी। मोम गयो गलि मूसमझार रखो तहं व्योम तदाकृति धारी। लोक गहीर नदीपति नीर गये तरि तीर भये अविकारी। सिद्धन थोक बस शिव लोक तिन्हें पगधोक त्रिकाल हमारी ॥ दोहा-अविचलज्ञान प्रकाशतें, गुण अनन्तकी खान ।
ध्यान धरै सो पाइये, परमसिद्ध भगवान ॥ अविनाशी आनन्दमय, गुण पूरण भगवान । शक्ति हिये परमात्मा, सकल पदारथ ज्ञान ।। चारों करम विनाशिके, उपज्यो केवल ज्ञान । इन्द्र आय स्तुति करी, पहुँचे शिवपुर थान ॥
इत्याशीर्वाद पुष्पांजलिं क्षिपेत् ।