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वृहत् अभिषेक पाठ श्रीमज्जिनेन्द्रमभिवंद्य जगत्त्रयेशं, स्याद्वादनायकमनन्तचतुष्टयाहम् । श्रीमूल संघ सुदृशाम् सुकृतैकहेतुजैनेन्द्रयज्ञविधिरेष मयाभ्यधायि ॥ १ ॥
पुष्पाञ्जलिं क्षेपण |
सौगन्ध्य संगत मधुव्रत संकृतेन, सौवर्ण्यमानमिव गन्धमनिंद्यमादौ । आरोपयामि विबुधेश्वरवृन्दवन्य, पादारविन्दमभिवन्द्य जिनोत्तमानाम् ॥ २ ॥
अभिषेक करनेवालो को अन मे चन्दन लगाना चाहिये । नोट- अभिषेक पाठ करने के पहले गर्भ और जन्म के दो मगल बोलना नाहिये ।
प्रोत्फुल्लनीलकुलिशोत्पलपद्मराग, निर्जत्करप्रकरबंधसुरेन्द्रचापं । जैनाभिषेक समयेऽगुलिपर्वमूले, रत्लांगुलीयकमहं विनिवेशयामि ॥ ३ ॥
अभिषेक करनेवालों को मुद्रिका धारण करना चाहिये । सम्यक पिलर निर्मल रक्तपंक्तिः, रोचिद्वहहलयजातबहुप्रकारं । कल्याणनिर्मितमहं कटकं जिनेशं, पूजाविधान ललिते स्वकरे करोमि ॥ ४ ॥
अभिषेक करनेवालो को हाथ में ककण धारण करना चाहिये ।
पूर्व पवित्रतरसूत्र विनिर्मितं यत्, प्रीतः प्रजापतिरकल्पयदंगसंगं । सद्भूषणं जिनमहे निजकण्ठधार्य्ययज्ञोपवीतमहमेप तदा तनोमि ॥ ५ ॥
अभिषेक करनेवालों को यज्ञोपवीत धारण करना चाहिये । पुन्नागचम्पकपयोरुह किंकरांत, जातीप्रसून नव केसर