________________
३९४
जन पूजा पाठ सप्रह
समाधिमरण भाषा गौतम स्वामी बन्दौं नामी मरण समाधि भला है। में कब पाऊँ निशिदिन ध्याऊँ गाऊँ वचन कला है । देव धर्म गुरु प्रीति महा दृढ़ सप्तव्यसन नहिं जाने। त्यागि बाइस अभक्ष संयमीबारह व्रत नित ठाने ॥१॥ चकी उखरी चूलि बुहारी पानी त्रस न विराधै । बनिज करै पर द्रव्य हरै नहिं छहों करम इमिसाधै॥ पूजा शास्त्र गुरुन की सेवा संयम तप चहूँ दानी। पर उपकारी अल्प अहारी सामायक विधि ज्ञानी ॥ २ ॥ जाप जपै तिहुँ योग धरै दृढ़ तनकी ममता टारै । अन्त समय वैराग्य सम्हारै ध्यान समाधि विचारै ।। आग लगै अरु नाव डूबै जब धर्म विघन जब आवै। चार प्रकार आहार त्यागि के मन्त्र सुमनमें ध्यावै ॥३॥ रोग असाध्य जहां बहु देखै कारण और निहारै। बात बड़ी है जो बनि आवै भार भवनको टारै॥ जो न बने तो घरमें रह करि सबसों होय निराला। मात पिता सुत त्रियको सोंपै निज परिग्रह इहिकाला ॥४॥ कुछ चैत्यालय कुछ श्रावकजन कुछ दुःखिया धन देई। क्षमा क्षमा सबहीं सों कहिके मनकी शल्य हनेई॥ शत्रुन सों मिल निज कर जोरै मैं बहु करिहै बुराई।