Book Title: Jain Pooja Path Sangraha
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 423
________________ बैन पूजा पाठ सप्रह - गजपुर नगरी अवतरी, राज कर बहु भाय । सोलह कारण भाइयो, धर्म सुनो अधिकाय ॥ प्राणी० ॥ मुनि संघाटक आइयो, माली सार जनाय । राजा वन्दे भावसो, पुण्य बढ़ी अधिकाय ॥ प्राणी० ॥ राजा मन वैरागियो, संयम लीनो सार। । आठ सहस नृप साथ ले, यह ससार असार ।। प्राणी० ॥ केवलज्ञान उपाय के, दोय सहस निर्वाण । दोय सहस सुख स्वर्ग के, भोगे भोग सुथान ॥ प्राणी० ॥ चार सहस भूलोक मे भोगे बहु ससार । काल पाय शिव जायेंगे, उत्तम धर्म विचार ॥ प्राणी० ॥ याही मानुष लोक में, तीन जनम परमाण। । लोकालोक सुजान ही, सिद्धारथ कुल ठाण ॥ प्राणी० ॥ भव समुद्र के तरण को, बावन नौका जान । जे जिय करे स्वभावसो, जिनवर साच बखान ।। प्राणी० ॥ मन वच काया जे पढे, ते पावे भव पार । विनय कीर्ति सुख सो भणे, जनम सफल ससार । प्राणी बरत अठाई जे करे, ते पावें भव पार ॥ प्राणी०॥

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