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7 पूजा पाठ मप्रह
सुगन्ध दशमी प्रत कथा माढों मुदी दशमी के दिन मुगन्धित धूप गे चुनने के बाद श्री-पुरुषों को मुयोग्य वक्ता द्वारा सुगन्ध दशमी व्रत कथा का प्रवण करना चाहिये।
चौपाई। पञ्च परम गुरु वन्दन करू, ताकर मम अप बन्धन इस। सार मुगन्ध व्रत कथा, भापत है भापी जिन यथा ॥ १ ॥ अर गुरु शारट के परसादि, कहस्य भेद मार पूजादि। व भवि इह व्रत करिहै सही, तिन स्वर्गादिक पढवी लही ॥२॥ सन्मति जिन गौतम मुनिराय, तिनके पद नमि श्रेणिक राय । करत भयो इम थुति सुखकार, विन कारण जग बन्धु करार ॥३॥ भर कमल प्रतियोधन सूर्य, मुक्ति पन्य निरवाहन धूये । श्रुतिवारिधि को पोत समान, इन्द्रादिक तुम सेवक जान ॥ ४ ॥ बत मुगन्ध दशमीडह मार, कीन्हूं किनि किमि विधि विस्तार। अरु याको फल केमो होय, मोक उपदेशो मुनि सोय ॥ ५॥ गौतम बोले मुन भूपाल, पुण्य कथा यह व्रत की माल । भृप प्रश्न तुम उत्तम कस्यो, में भाप जो जिन उच्चत्यो ॥६॥ सुनत मात्र व्रत को विस्तार, पाप अनन्त हर तत्काल | ने कर्ता क्रमत शिव जाय, और कहा कहिये अधिकाय ॥७॥ दोहा-जम्बू द्वीप विप यहां, भरत क्षेत्र सु जान । तहां देश काशी लस, पुर वाराणमी मान ॥ ८॥
चौपाई। पद्मनाभ जाको भूपाल, कीन्हूं वसुमद को परिहार । सप्त व्यसन तजि गुण उपजाय, ऐसे राज करे सुखदाय ॥६॥