________________
पूERur
-
-
पत्ता।
जिनवाणी माता सब सुख दाता.भवभ्रमहर मुक्तिकरा। शुभसूत्रहिंशास्त्रहि,वारहि वारहि दासजोरिकरनमनकरा श्री
तार साताप अन निर्यपानाति । जे पजे ध्यावें भक्ति वढावै जिनवाणी सेती। ते पावहिं धन धान्य सम्पदा पुत्र पौत्र जेती ॥ निरोग शरीर लह कीरति जग हरे भ्रमण फेरी । अनुकम सेती लह मोक्षधल तहं के होय वसेरी ॥
इति श्रीमपाग पूमा समा श्रीपभदेवके पूर्वभव
कपित्त गनहर। बादि जययमा दूज महानलमप तीज,
__सुग्गईशान ललितांग देव थयौ है। चौवे ब्रजनंघ एक पांच जुगल देह
___मम्यश ले दूज देवलोक फिर गयो है ॥ सातवें वृद्धिराय आठवें अच्युतइन्द्र,
नवमे नगेन्द्र वज्रनाभ नाम भयो है। दर्श अहमिन्द्र जान ग्यारवें ऋषभ-भानु,
नाभिनंद-भूधरके, गीस जन्म लयो है ॥ ८२ ॥