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जे पूजा पाठ सद दिन ममता तनत ६२ : ति दुर सा.
स्वर र नन्त र म ग यानि । दर नर महिउर द्वाति - Eि ति दार. ना हुन्छ दिसा ॥२२॥ fea मा. ६ दु३ . - 2 उर मता ?. नृत्युार को 11 नहि ना, टेट न खदा। पतेदन.. दे. मग सत्य की,
मदिन 31+ F1 को हं . २३ । - मटा मा पदे. हमें में स्टे तरहीने मिर्गत बाम तर चित टे।
द: पनी समत. दिन कोड गहि नहाइ, मात पित त सन्द तिरिमा.स्द हैं दुदाई ॥२४॥ मन्यु नगर में मार रें. तने जगत हा है. भारत गति को पावे, ८ माहतया है।
और परिग्रह तै उ7, तिनो प्रोति न मे, पर व में 4 ग २ चा हक भारत कोज । २५॥ ७ दत्तु खन है त पर, दिनना ने निवारा, परगति ६ ताद न च रेसो भाव विचारो। जो परदने ना - तुम तिर प्रीति को, पच पाप तज समता भागे, दान चार विधि को ।।२६।। दश समय धर्म धरा उर, नुकम्मा उर नवो, पोडकारण नित्य चिन्तवा, द्वादश भावना माना। चारो परको प्रोषध कोजे, जसन रातको त्यागा, समता घर दुरमाद निटारो, सयमले जनुगो ।।२।। अन्त समय में ये शुम माहि. हो नानि तहाई स्वर्ग मोक्षफन ताहि दिखावे, रिडि देहि अधिकाई । स्रोटे भाव स्फत जिय त्यागो, उरमे समता के, जासेतो गति चार दूर कर, यसो मोक्षपर जकै ॥२८॥