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जैन पूजा पाठ सप्रह
फूल सुगंध मधुप-गुंजार, पूजौं जिनवर जग-आधार । पर गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु हो दरश०॥४॥ ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्धयादिषोडशकारणेभ्यो कानवाणविध्वसनाय पुष्प० ॥ ४ ॥ सद नेवज वहुविधि पकवान, पूजों श्रीजिनभर गुणलान । परम गुरु हो, जय जय लाथ परम गुरु हो गदरस॥५॥ * ही दर्शनविशुद्धयादिपोडगकारणेभ्यो क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्य० ॥ ५ ॥ दीपक-ज्योति तिलिर क्षयकार, पजं श्रीजिनकेन्लधार । परम गुरु हो, जय जय नाय परम गुरु हो ॥दरश०॥६॥ ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्धयादिषोडशकारणेभ्यो मोहान्धकारविनाशनाय दीप० ॥६॥ अगर कपूर गंध शुभ लेय, श्रीजिनवर आगे महकेय । परम गुरु हो, जय जय नाथ परम गुरु होदिक्षा॥७॥ ॐ ह्रीं दर्शनविशुद्धयादिपोडगकारणेभ्यो अष्टम दहनाय धूप० ॥ ७ ॥ श्रीफल आदि बहुत फललार, पूजौं जिन वाँछित-दातार । परम गुरु हो, जय जय नाय परज शुरु हो ॥दरश०॥८॥ ॐ ह्रीं दनिविशुद्वयादिषोडशकारणेभ्यो मोक्ष फलप्राप्तये फल० ॥८॥ जलफल आठोंदव चढ़ाय, 'द्यालत' बरत करौं बनलाय । परन गुरु हो, जय जय नाथ परन गुरु होदरश०॥ ॐ ही दर्शनविशुद्धयादिषोडशकारणेभ्यो अनर्धपदप्राप्तये अब० ॥ ९ ॥
जयमाला
षोड़श कारण गुण करै, हरे चतुरगति-वाल । पाप पुण्य सब नासके, ज्ञान-सान परकाश ॥१॥