________________
१५६
जैन पूजा पाठ सप्रह
श्री सोनागिरि सिद्धक्षेत्र पूजा
अडिल्ल छन्द । जम्बूद्वीप मझार स भरत क्षेत्र कहो।
आर्य खण्ड सु जान भद्र देशे लहो॥ सवर्णगिरि अभिराम स पर्वत है तहां।
पञ्चकोडि अरु अर्द्ध गये मुनि शिव तहां ॥१॥ दोहा-सोनागिरिके शीश पर, बहुत जिनालय जान।
चन्द्रप्रभु जिन आदि दे, पूजों सब भगवान ॥ दी श्री पोनागिरि सिद्धक्षेत्रेभ्यो । अत्र अवतर अवतर सवौषट् बाहानन । ही श्री सानागिरि सिद्धक्षेत्रेभ्यो 1 अन तिष्ठ तिष्ठ ठ.ट' स्थापन । ही श्री मनागिरि सिद्धक्षेत्रेभ्यो ! मन मम सन्निहितो भव भव वषट् ।
अथाष्टक, सारङ्ग छन्द ।। पदमद्रह को नीर ल्याय गंगा से भरके।
कनक कटोरी मांहि हेम थारन में धरके ।। सोनागिरिके शीश भूमि निर्वाण सुहाई।।
पञ्चकोडि अरु अर्द्ध मुक्ति पहुंचे मुनिराई॥ चन्द्रप्रभु जिन आदि सकल जिनवर पद पूजो।
स्वर्ग मुक्ति फल पाय जाय अविचले पट हुजो।। दोहा -सोनागिरि के शीप पर, जेते सब जिनराज ।
तिनपद धारा तीन दे, तृषा हरण के काज ।। *ही श्री मोनागिरि निर्वाणो यो जन्मजरामृत्युविनाशनाय अल निवपामीति स्वाहा ॥
केसर आदि कपूर मिले मलयागिरि चन्दन । परिमल अधिकी तास और सब दाह निकन्दन।