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जन पूजा पाठ सग्रह
जनमत अनहद भई घोर,आये चतुर निकाई। तेरस शुक्ल को चैत्र सुर गिरि ले जाई ॥ चांदन० ॐ ह्री श्री महावीर जिनेन्द्राय चैत शुक्ल तेरस जन्ममङ्गल प्राप्ताय अर्घ ॥ २ ॥ कृष्णा मंगसिर दश जान लौकान्तिक आये। करि केश लौच ततकाल मट दन को धाये ॥ चादन० ॐ ही श्री महावीर जिनेन्द्राय मगसिर कृष्ण दशमी तपमङ्गल प्राप्ताय अर्घ० ॥ ३ ॥ वैशाख शुक्ल दश मांहि घाती क्षय करना। पायौ तुम केवलज्ञान इन्द्रनि की रचना ॥ चादन० ॐ ही श्री महावीर जिनेन्द्राय वैशाख शुक दशमी केवलज्ञान प्राप्ताय अर्घ० ॥ ४ ॥ कार्तिक जु अमावस कृष्ण पावापुर ठाहीं। भयो तीनलोक में हर्ष पहुँचे शिव माहीं ॥ चांदन० ॐ ही श्री महावीर जिनेन्द्राय कार्तिक कृष्ण अमावस मोक्षमङ्गल प्राप्ताय अर्घ० ॥ ५ ॥
जयमाला। दोहा-मङ्गलमय तुम हो सदा श्रीसन्मति सुखदाय । चांदनपुर महावीर की कहूँ आरती गाय ॥
पद्धड़ी छन्द। जय जय चॉटनपुर महावीर, तुम भक्तजनो की हरत पीर । जड़ चेतन जग के लखत आप, दई द्वादशांग वाणी अलाप ॥ अब पञ्चम काल मझार आय, चाँदनपुर अतिशय दई दिखाय । टीले के अन्दर बैठि वीर, नित हरा गाय का आप क्षीर ॥