________________
न पूजा
२१९
___टोक के चरणो का अर्थ जहां कामधेनु नित आय दुग्ध जु बरसावै। तुम वरणनि दरशन होत आकुलता जावै ॥ जहां छतरी बनी विशाल तहां अतिशय बहु भारी। हम पूजत मन वच काय तजि सशय सारी ।। चांदनपुर के महावीर तोरी छवि प्यारी। प्रभु भव आताप निवार तुम पद बलिहारी ॥ टक में स्थापित की मायोर पररेभ्यो म निर्वामीति स्वाहा ।
टीले के अन्दर विराजमान समय का अर्घ टीले के अन्दर आप सोहें पदमासन । जहां चतुर निकाई देव आवे जिन शासन । नित पूजन करत तुम्हार कर मे ले झारी। हम हू वसु द्रव्य वनाय पूजे भरि थारी॥ चांदनपुर के महावीर तोरी छवि प्यारी ।
प्रभु भव आताप निवार तुम पद बलिहारी ॥ ॐही श्री दिनपुर महावीर जिनेन्द्राय टीते के पन्दर विराजमान समय का अर्ध।
कल्याणक । । कुण्डलपुर नगर मझार त्रिशला उर आयो। • शुक्ल छट्टि अषाढ़ सुर आई रतन जु बरसायो | चांदन ...हीदी मावीर जिनेन्द्राय अपार शुक्रएदि गर्भमत प्राप्ताय अर्घ० १ ॥