________________
-
-
जिनवाणी माता की आरती जय अम्बे वाणी, माता जय अम्बे वाणी। तुमको निशि दिन ध्यावत सुर नर मुनि ज्ञानी ।। टेर ॥ श्रीजिन गिरित निकसी, गुरु गौतम वाणी। जीयन भ्रम तम नाशन, दीपक दरशाणी ।। जय० ॥१॥ कुमत कुलाचल चूरण, वन सु सरधानी। नव नियोग निक्षेपण, देसन दरशाणी ॥ जय० ॥२॥ पातक पद पराानल, पुन्प परम पाणी । मोहमहार्णव इवत, वारण नौकाणी ।। जय० ॥३॥ लोकालोक निहारण, दिव्य नेत्र रथानी । निज पर मेद दिसापन, सूरज किरणानी !! जय० ॥४॥ श्रावक मुनिराण जननी, तुमही गुणहानी । सेवक लस सुखदायक, पाचन परमाणी ॥ जय० ॥५॥ पत्रात् नीचे लिखे अनुसार पहियो में स्वस्तिकादि लिख कर धीर संवत् , विक्रम संवत्, श्वी सन, मिती, वार, तारीख आदि लिखें।
श्री महावीराय नमः भी लाभ
श्री भी श्री श्री श्री
भी श्री भी सी "श्री अपाय नमश्री मी श्री गी श्री श्री वर्धमानाय नमः श्री गौतम भणधराय नम श्री जिनमुखोद्भवसरस्वतीदेव्यै नमः
श्री फेवलशानलक्ष्मीदेव्यै नमः
भी
श्री शुभ