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जन पूजा पाठ सप्रह
बदि अषाढ़ अष्टमि दिवस मोक्ष गये मुनि ईश । जजू भक्तिते विमल प्रभु अर्घ लेय नमि शीश ॥ ५॥
ॐ ह्री श्री सम्मेद शिरूर सिद्धक्षत्र परवत सेती सुवीर त कूट के दरशन पस एक कोड उपवास और विमलनाथ तीर्थकरादि सत्तर कोडाकोटी साठ लाख छ हजार सात से बयालिस मुनि मुक्ति पधारे, अर्घ० ॥ ५॥
फागुन शुकल सप्तमि दिना हनि अघातियाराय । जगत फास कू काटके मोक्ष गये जिनराय ॥ ६॥
ॐ ह्री श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र परवत सेती प्रभास कूट के दरशन फत एक कोड उपवास और श्री सुपाश्वनाथ तीर्थकरादि उनचास कोडाकोडो चौरासी कोड़ बहत्तर लाख सात हजार सातसै क्यालिस मुनि मुक्ति पधारे, अर्घ० ॥६॥
चैत शुकल पंचमि दिना हनि अघातिया राय । मोक्ष भये सुरपति जजै मैं जजहूं गुण गाय ॥ ७ ॥
ॐ ह्रीं श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र परवत सैती सिद्धवर कूट के दरशन फस बत्तीस कोड उपवास और श्री अजितनाथ तीर्थकरादि एक अरव प्रस्सी कोड चौफ्न ताख मुनि मुक्ति पधारे, अर्घ० ॥७॥
जुगल नाग तारे प्रभु पार्श्वनाथ जिनराय । सावन शुकल साते दिवस लहे मुक्ति शिव जाय ॥८॥
ॐ ही श्री सम्मेद शिखर सिद्धक्षेत्र परवत सेतो सुवरनभद्र कूट के दरशन फस सोलह कोड उपवास और श्री पार्श्वनाथ तीर्थकरादि वयासो करोड़ चौरासी सास पैतालिस हजार सातसै बयालिस मुनि मुक्ति पधारे, अर्घ० ।। 5॥
सोरठा। हनि अघाति शिव थान, चतुर्दशी वैशाख बदि। जजु मोक्ष कल्यान, गये सम्मेदाचल थको ॥ ६॥