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१) कल्पोपपन्न के १२ प्रकार हैं१) सौधर्म
७) महाशुक्र २) ईशान
८) सहस्त्रार ३) सनत्कुमार ९) आनत ४) माहेन्द्र
१०) प्राणत ५) ब्रह्मलोक
११) आरण ६) लान्तक १२) अच्युत २. कल्पातीत के दो प्रकार हैं
१) ग्रैवयेक २) अनुत्तरोपपातिक । ग्रवैयेक के ९ भेद हैं
१) अधस्तनाधस्तन ६) मध्यमोपरितन २) अधस्तनमध्यम ७) उपरिम-अधस्तन ३) अधस्तनउपरितन ८) उपरिम-मध्यम ४) मध्यमअधस्तन ९) उपरितनोपरितन ।
५) मध्यम-मध्यम अनुत्तरौपपातिक ५ प्रकार के हैं
१) विजय २) वैजयंत ३) जयन्त ४) अपराजित और
५) सर्वार्थसिद्ध । उपर्युक्त सब देवों के पर्याप्तक और अपर्याप्तक के रूप में दो-दो भेद हैं ।
(ब) १) भवनपति देव देवों के प्रमुख चार प्रकारों में पहला प्रकार है-भवनपति । ये देव तीनों लोकों में निवास करते हैं ।
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