Book Title: Jain Agamo me Swarg Narak ki Vibhavana
Author(s): Hemrekhashreeji
Publisher: Vichakshan Prakashan Trust

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Page 308
________________ २८१ 'नोझनीन' उसकी 'राहबर' बनकर 'खुदाई इन्साफ' की बैठक तक उसे ले जाती इसके विपरीत पापी आत्मा दुर्गन्ध से आकुल व्याकुल होकर अंधकारमय मार्ग पर गिरता पड़ता आगे बढता है । वहाँ उसकी नजर के सामने एक भयंकर बदसूरत डाकिन आकर उसे त्रास देती है । यह उसकी करनी का ही प्रतिबिंब है । पाप की परछाई है । वह मनुष्य अपनी ही करनी के मूर्त स्वरूप से घबरा कर वहाँ से भागने लगता है, किन्तु वह डरावनी स्त्री उसे छोड़ती नहीं है और यह उसका हाथ पकड़कर अहुरमझद का इन्साफ कराने के लिए उसे उस मालिक के दरबार में ले जाती है । इस प्रकार यह सुंदर और बदसूरत स्त्री वह उस मृत्यु प्राप्त व्यक्ति की 'किरदार' अथवा 'करणी' कही जाती है । और मृत्यु के पश्चात् अपनी करनी भोगनी पडती है, उसका स्पष्ट आलंकारिक चितार है । चाहरम की बामदाद में ही मीनोई जहान में न्याय का कार्य शुरु होता है और अहुरमझद के नियुक्त किये हुए महेर, सरोश, और र ईझदो (दैवी शक्तियाँ, फिरश्ते) के हाथ से ईन्साफ का कार्य शुरु होता है । इस इन्साफ का उल्लेख 'दीनकर्द' और 'मीनोअखेरद' पश्चात्वर्ती साहित्य में मिलता है ।७५ सरोश जैसे ज्ञानी और बलवान् ईझद की पनाह के नीचे मेहेरदावर मुख्य न्यायाधीश बनते हैं । जब कि रस रास्त ईझद पाप सवाब का तौल करने को तराजु लेकर खड़े रहते हैं । मृत्यु प्राप्त का इन जहान में जो भले बुरे कार्य किये होते हैं, उसकी सूक्ष्म विगत पुस्तक में बेहमन अमेशास्पद (विशुद्ध मन दर्शाती एक महापवित्र दैवी शक्ति) रखती है । इन्साफ तौलने के समय पुस्तक प्रस्तुत किया जाता है। वह अंतिम न्याय संपूर्ण, अचूक और निष्पक्षपाती होता है ।७२ एक मत के अनुसार मृत्युप्राप्त के कार्यों के अनुसार वह व्हेश्त अर्थात् स्वर्ग एवं दोझख अर्थात् नरक के लायक है इसका निर्णय किया जाता है, तो अन्य मतानुसार प्रत्येक अच्छे या बुरे कार्यों का अलग अलग बदला उसे मिलता महेर दावर, सरोश ईझद और रश्ते रास्ते ईझद के हाथ से इन्साफ होने के पश्चात् वह जीव 'चिनवत पुल' के पास पहुँच जाता है । खाकी और मीनोई Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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