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उत्पात पर्वतों आदि की शोभा उत्पात पर्वतों, पक्षिहिंडोलों, आदि पर सर्वरत्नमय, निर्मल यावत् अतीव मनोहर अनेक हंसासन (हंस जैसी आकृति वाले आसन), कोंचासन, गरूडासन, उन्नतासन (ऊपर की और उठे हुए आसन), प्रणतासन (नीचे की ओर झुके हुए आसन), दीर्घासन (शैया जैसे लम्बे आसन), भद्रासन, पक्ष्यासन, मकरासन, वृषभासन, सिंहासन, पद्मासन और दिशास्वस्तिक २१आसन (पक्षी, मगर, वृषभ, सिंह, कमल, और स्वस्तिक के चित्रामों से सुशोभित अथवा तदनुरूप आकृति वाले आसन) रखे हुए हैं ।
वनखंडवर्ती गृहों का वर्णन वनखंडों में यथायोग्य स्थानों पर बहुत से आलिगृह (वनस्पतिविशेष से बने हुए गृह जैसे मंडप), मालिगृह (वनस्पतिविशेष से बने हुए गृह), कदलीगृह, लतागृह, आसनगृह (विश्राम करने के लिये बैठने योग्य आसनों युक्त घर), प्रेक्षागृह (प्राकृतिक शोभा के अवलोकन हेतु बने विश्रामगृह अथवा नाट्यगृह), मज्जनगृह (स्नानघर), प्रसाधनगृह (भंगार-साधनों से सुसज्जित स्थान), गर्भगृह (भीतर का घर), मोहनगृह (रतीक्रीडा करने योग्यस्थान), शालागृह, जाली वाले गृह, कुसुमगृह, चित्रगृह (चित्रों से सज्जित स्थान), गंधर्वगृह (संगीत-नृत्य शाला), आर्दशगृह (दर्पणों से बने हुए भवन) सुशोभित हो रहे हैं । ये सभी गृह रत्नों से बने हुए अधिकाधिक निर्मल यावत् असाधारण मनोहर हैं ।७२
वनखंडवर्ती मंडपों का वर्णन वनखंडों में विविध स्थानों पर बहुत से जातिमंडप (जाई के कुंज), यूथिकामंडप (जूही की बेल के मंडप), मल्लिकामंडप, नवमल्लिकामंडप, वासंतीमंडप, दधिवासुका (वनस्पति विशेष) मंडप, सूरिल्लि (सूरजमुखी मंडप), नागरवेल मंडप, मृद्वीका मंडप (अंगूर की बेल के मंडप), नागलता मंडप, अतिमुक्तक (माधवीलतामंडप), अकोया मंडप, मालुकामंडप बने हुए हैं। ये सभी मंडप अत्यन्त निर्मल सर्वरत्नमय यावत् प्रतिरूप अतीव मनोहर हैं ।
__ ये जातिमंडपों और मालुका मंडप कितने ही हंसासन सदृश आकार वाले इसीप्रकार सभी आसन के आकार पृथ्वीशिलापट्टक तथा दूसरे भी बहुत से श्रेष्ठ शयनासन (शैय्या, पलंग) सदृश विशिष्ट आकार वाले पृथ्वीशिलापट्टक रखे हुए
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