Book Title: Jain Agamo me Swarg Narak ki Vibhavana
Author(s): Hemrekhashreeji
Publisher: Vichakshan Prakashan Trust
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१९२
१०५. जीवाजीवाभिगम सूत्र भा. २ सू. १९६.
१०६. वही
१०७. प्रज्ञापना सूत्र भा. ९ सू. १९५ । समवायांग सू. ९५०, स्थानांग - २ / ३१९४, जीवाभिगम सिद्धान्तसार- ८१९०, सूत्र० ९२२. १०८. वही
१०९. जीवाजीवाभिगम सूत्र भा. २ सू. १९३.
११०. जीवाजीवाभिगम सूत्र भा. २ सू. १९४ से १९५.
१११. जीवाजीवाभिगम सूत्र भा. २ पू. ८९.
११२. सव्वभिंतराऽभीई, मूलो पुण सव्व बाहिरो होई ।
सव्वोवरिं तु साई भरणी पुण सव्व हेट्ठिलिया ॥ १ ॥ जीवाजीवाभिगम सूत्र भा. २ पृ. ८३.
११३. तत्त्वार्थसूत्र अ. ४ गा. १६
११४. 'मेरू प्रदक्षिणा नित्यगतयो नृलोके' तत्त्वार्थसूत्र ४ / १४.
११५. 'तत्कृत: कालविभाग: ' तत्त्वार्थसूत्र ४ / १५
११६. जीवाभिगम भा. २ सू. १५३, १५५, १७४-७७१९४ । तिलोय प. ७/११६, ५५०, जंबूद्वीप प० १२/१४, सिद्धान्तसार ८१२१-२७, जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति ( श्वेता० ) सू. १२६, १६३, समवायांग- सम० ७२, भगवती सू० ३१९१२/२, त्रिषष्टिशलाका २/३/५३६-४० लोकविभाग - ६ / २४/२७, १२९ / ३० ।
११७. तिलोय प० ७/६०६ - ६०९.
११८-१९ ति. प. ७/९५ - २२, जंबूद्वीव पण्णती सू. २०४.
१२०. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश भा. ३, पृ. ५०३, जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति, सू. २०६
१२१. ति. प. ७/४९३. त्रि. सा. ४३६.
१२२. जीवाजीवाभिगम सूत्र भा. २ पृ. ८१.
१२३. जीवाजीवाभिगम सूत्र भा. २. पृ. ९०.
१२४. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश भा. ४ पृ. ५१०. १२५. तत्त्वार्थसूत्र अ. ४ गा. १८.
१२६. तत्त्वार्थसूत्र अ. ४ गा. १९.
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