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७. शनि ९९-१०१ अर्धगोल १/२ को. १/४ को. स्वर्ण मंद ८००० ८. नक्षत्र १०६ अर्धगोल १ को. १/२ को. सूर्यवत् मंद १००० ९. तारे उत्कृष्ट १०९-११० अर्धगोल १ को. १/२ को. सूर्यवत् मंद ५०० १० तारे मध्यम१०९-१११ अर्धगोल १/२,३/४को. १/४,३/८को. सूर्यवत् मंद ५०० ११ तारे जघन्य१०९-१११ अर्धगोल १/४ को. १/८ को. सूर्यवत् मंद । १२. राहु २०२-२०३ अर्धगोल १ यो. २५० धनु. अंजन मंद ५०० १३. केतु २७३-२७४ अर्धगोल १ यो. २५० धनु. अंजन मंद ५०० नोट : १) यो - योजन, को - कोश
२) सर्वत्र पूर्वादि दिशाओं में क्रमसे सिंह, हाथी, बैल व अश्व के रूप
वाले वाहक देव उक्त प्रमाण से १/४ चौथाई-चौथाई होते हैं । १८. चन्द्रादि की संख्या १६ :
जंबूद्वीप के अन्तर्गत भरतक्षेत्र में यद्यपि हमको सूर्य, चंद्र आदि १-१ ही दिखाई देते हैं, किन्तु जैन परंपरा में इनकी संख्या में अन्तर हैं । असंख्यात द्वीपों समुद्रों में इनकी संख्या अलग-अलग मान्य की गई है। यहां पर द्वीप एवं समुद्र के अनुसार इन ज्योतिष देव की संख्या की अवधारणा प्रस्तुत की जा रही हैं
जंबूद्वीप में दो चंद्र और दो सूर्य हैं । दो चंद्र होने से ५६ नक्षत्र, १७६ ग्रह और १,३३,९५० कोडाकोडी तारागण हैं ।
जबकि लवणसमुद्र में चार चंद्र और चार सूर्य हैं । ११२ नक्षत्र, ३५२ ग्रह और २,६७,९०० कोडाकोडी तारागणों से आकाश सुशोभित होता है ।
धातकीखण्ड द्वीप में बारह चंद्र और बारह सूर्य हैं । ३३६ नक्षत्र, १०५६ ग्रह और ८,०३,७०० कोडाकोडी तारागण हैं ।।
कालोदधि समुद्र में ४२ चन्द्र और ४२ सूर्य संबद्ध लेश्या वाले हैं । ११७६ नक्षत्र, ३६९६ ग्रह और २८,१२,९५० कोडाकोडी तारागण हैं ।
पुष्करवर द्वीप में १४४ चन्द्र और १४४ सूर्य हैं । ४०३२ नक्षत्र और १२६७२ ग्रह और ९६४४४०० कोडाकोडी तारें हैं ।
एवं मनुष्यलोक (समयक्षेत्र) में १३२ चन्द्र और १३२ सूर्य प्रभासित होते हैं । ३६९६ नक्षत्र और ११६१६ ग्रह और ८८४०७०० कोडाकोडी तारागण
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