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शक्तिधारी होते हैं । ये प्रवर वस्त्र, गंध, माल्य और अनुलेपन के धारण करते
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हैं ।
ये देव भी मुकुट के चिह्नों से पहचाने जाते हैं । सौधर्म देव से अच्युत देव के मुकुट चिह्न का वर्णन प्रज्ञापना सूत्र में निम्न प्रकार से हैं - १३२
क्रम
देवों के नाम
मुकुट के चिह्न
सौधर्म
ईशान
१.
२.
३.
४.
५.
६.
सनत्कुमार
माहेन्द्र
ब्रह्मलोक
लान्तक
महाशुक
८.
सहस्रार
गजराज
९.
आनत
भुजंग (सर्प)
१०.
प्राणत
खङ्ग(चौपगा वन्य जानवर या गेंडा) वृषभ (बैल)
११
आरण
१२.
अच्युत
विडिम (एक प्रकार का जानवर)
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अपने- अपने चिह्नों से युक्त ये शिथिल और श्रेष्ठ मुकुट और किरीट के धारक होते हैं । ये श्रेष्ठ कुण्डलों से उद्योतित मुख वासे, महर्द्धिक, महाद्युतिमान, महायशस्वी, महाबली, महानुभाग, महासुखी तथा हार से सुशोभित वक्षस्थल वाले होते हैं । कड़े और बाजूबंदो से मानो भुजाओं को उन्होंने स्तब्ध कर रखी हो, ऐसा अहसास होता है । अंगद, कुण्डल आदि आभूषण उनके कपोलस्थल को मानों सहलाते हैं । कानों में ये कर्णपीठ और हाथों में विचित्र कराभूषण धारण किये हुए होते हैं । इनका रक्त आभायुक्त होता है ।
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७.
मृग
महिष
वराह (शूकर)
सिंह
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बकरा (छगल)
दर्दुर (मेंढक )
हय ( अश्व)
इनकी विचित्र पुष्पमालाएँ मस्तक पर शोभायमान होती हैं । इनके वस्त्र उत्तम और कल्याणकारी होते हैं । ये कल्याणकारी श्रेष्ठ माला और अनुलेपन धारण किये हुए होते है। उनका शरीर दिव्य गन्ध से, दिव्य स्पर्श से, दिव्य संहनन
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