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Jain Education International 2010_03
१५. कल्पोपपन्न वैमानिक देवों की वर्णन तालिका :
स्थिति कल्पों के नाम देवों की | देवी संख्या देव देवी
संख्या
विमानवास सामानिक देव मध्य में
पर्वदिशामें
दक्षिणदिशा | पश्चिम दिशा| उत्तर दिशामें
R. सौधर्म
३२ लाख ८४ हजार || सौधर्मा-
वतंसक
अशोकावतंसक
| चूलावतंसक
सप्तपर्णा- वतंसक
चम्पकावतंसक
७००
३ प.
६००
आभ्यन्तर पर्षद १२००० मध्यम पर्षद १४००० बाह्य पर्षद | १६००० २. ईशान
५ पल्यो . ४ पल्यो . ३ पल्यो .
५००
२८ लाख ८० हजार
रत्नावतंसक
| ईशाना-
वतंसक
अंकावतंसक |स्फटिका-
वतंसक
जातरूपा वतंसक
१३७
आभ्यन्तर पर्षद १००००
७ पल्यो .
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५ प. से कुछ अधिक
आपल्यो.
मध्यम पर्षद | १२००० बाह्य पर्षद | १४००० ३. सनत्कुमार
७००
५ पल्यो .
-
१२ लाख ७२ हजार
चूलावतंसक
सनत्कुमारा| अशोका- वतंसक वतंसक
सप्तपर्णा- वतंसक
चम्पका-. |वतंसक
आभ्य. पर्षद | ८००० देवियां नही साढे चार |"
सागरो ५ प. मध्यम पर्षद । १०००० दिविया नही साढे चार |"
सागरो ४ प.
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