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जंबूद्वीप से लेकर चमरचंचा तक जितना अवकाशांतर है, उतना वैक्रिय शक्ति के द्वारा विकुर्वित असुरकुमार-असुरकुमारिका से सतत भरा जा सके उतनी शक्ति असुरेन्द्र की होती है । २. नागकुमार :
रत्नप्रभा पृथ्वी के खरबहुल भाग में शेष सभी भवनपति रहते हैं । पर्वत या वृक्षों पर ये कुमार रहते हैं । मस्तक और मुख से स्वरूपवान, मंद गति से चलनेवाले इन देवों के सिर पर नाग के फणों का चिह्न होता है । सात हाथ की ऊंचाई वाले ये नागकुमार श्वेत वर्ण के होते हैं । वे नील वर्ण के वस्त्रवाले, मृदु ललित गतिवाले होते हैं । ।
नागकुमार के अधिपति की शक्ति के लिए कहा है कि-वह अपनी वैक्रिय शक्ति से विकुर्वणा करके अपने फणों से संपूर्ण जंबूद्वीप को आच्छादित कर सकता
३. विद्युतकुमार :
जो बिजली के समान चमकते हैं, ये विद्युतकुमार होते हैं। ये कुमार स्नेह से परिपूर्ण चमकीले और वज्र के चिह्नवाले होते हैं । सात हाथ ऊँचे ऐसे ये विद्युतकुमार रक्त देह वाले होते हैं । उनके वस्त्र नील वर्ण के होते हैं । स्निग्ध शरीर की कांतिवाले उनका निकाय चिह्न वज्र मुकुट में होता हैं ।
शक्ति की अपेक्षा से विद्युतकुमार का अधिपति बिजली के एक झबकारे से संपूर्ण जंबूद्वीप को प्रकाशित कर सकता है । ४. सुवर्णकुमार :
इन देवों के पक्ष (पंख) सुशोभित होने से ये सुवर्ण कहे जाते हैं । इनका वर्ण सुवर्ण जैसा होने से ये सुवर्णकुमार भी कहलाते हैं । सुंदर गंदन और वक्षःस्थल, सफेद छायावाले मुकुट में गरूड़ के चिह्नवाले ये देव भी सात हाथ ऊँचे होते हैं ।
शक्ति की अपेक्षा से सुवर्णकुमारेन्द्र अपनी वैक्रिय शक्ति के द्वारा गरुड़ के एक पंख से जंबूद्वीप को ढंक सकता है । ५. अग्निकुमार :
__ सप्रमाण शरीरवाले, देदीप्यमान, स्वच्छ और घड़े के चिह्नवाले, ये देव पाताल लोक से क्रीडा करने के लिए ऊपर आते हैं । ये अग्निकुमार मानोन्मान
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