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प्रश्नब्याकरणसूत्र की प्राचीन विषयवस्तु की खोज
९-नवविहे पावसुयपसंगे पण्णत्ते, तं जहा
उप्पाए, नेमित्तए, मत्ते, आइक्खए, तिगिच्छीए ।
कलावरण-अन्माणे, मिच्छापावयणत्तिय || -स्थानांग, ९ स्थान १०-पत्तेयबुद्धमिसिणो बीसं तित्थे अरिट्ठणेमिस्स पासस्स य पण्णरस वीरस्स विलीणमोहस्स
___-इसिभासियाई पठभा संगहणी गाथा, १ ११-चोयालीस अझयणा इसिभासिया दियलोगचुया भासिया पण्णत्ता ।
__ -समवायांगसूत्र ४४।२५८ १२-अंगट्ठाए दसमे अंगे, एगे सुअक्ख धे, पणयालीसं अज्झयणा
-नन्दीसूत्र-५४ १३- (क) पदग्गं दीणउतिलक्खा सोलस य सहस्सा ।
-णन्दीचूर्णि (ख) द्विनवतिलक्षाणि षोडश च सहस्राणि ।
-समवायागवृत्ति १४-पण्हवायरणो णाम अंग तेणउदिलक्ख-सोलससहस्सपदेहि ।
-धवला, भाग-१, पृ० १०४ :१५-समवायांग-५४७
१६-समवायांग-५४७ "१७-प्रश्नव्याकरण जयप्राभृत, (ग्रन्थ० २२८ ), जैन ग्रन्थावली पृ० ३५५,
(अ) चूडामणिवृत्ति (ग्रन्थ २३००), पाटन केटलोग, भाग १, पृ. ८ (ब) लीलावती टीका, पाटन केटलोग, भाग १, पृ. ८ एवं इन्ट्रोडक्शन,
पृ. ६. (स) प्रदर्शनज्योति त्ति, पाटन केटलोग, भाग १, पृ. ८ एवं इन्ट्रो
डक्शन, पृ. ६
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