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डॉ. जगदीशचन्द्र जैन
४. Die Avahsyaka-Erzahlungen(दी आवश्यक एत्सेलुगेन आवश्यक कथाए')
का प्रथम भाग अनेस्ट लायमान द्वाग सपादित, लाइप्सिग, १८९७ Ausgewählte Erzählungen in Mahārāștri. (आउस गेवैल्ते एत्र्सेलुगेन इन महाराष्ट्री - महाराष्ट्री प्राकृत से चुनी हुई कहानियां), हर्मान याकोबी द्वारा सौंपादित, १८८६, जे. जे. मेयर द्वारा अग्रेजी में अनूदित, लदन. १९०९ देखिए, दशवकालिक नियुक्ति (३, १८९), हारिभद्रीय टीका, पृ. १०६. समराइच्चकहा, पृ. ३ । विशेष अध्ययन के लिए लेखक की कतिपय कृतियां : ० दो हजार बरस पुरानी कहानियां, १९४६, १९६५ (द्वितीय सस्करण). ० लाइफ इन एशिएट इडिया एजडिपिक्टेड इन जैन कैनन एड कामे
ण्टरीज़, १९४७, १९८४ (द्वि.स.) • प्राचीन भारत की श्रेष्ठ कहानियां (बौद्ध कहानियां),१९४८,१९७० (द्वि० सं०) • प्राकृत साहित्य का इतिहास, १९६१, १९८५ (द्वि.स.) ० प्राकृत जैन कथा साहित्य, १९७०. ० द वसुदेवहिडि - ऐन ऑथेण्टिक जैन वजन आव द बृहत्कथा, १९७७. ० नारी के विविध रूप, १९७९. • प्राकृत नरेटिव लिटरेचर-ओरिजिन एण्ड ग्रोथ, १९८१. • सेवन पल्स आव विजडम, १९८४. • वुमेन इन एशियण्ट इण्डियन टेल्स, १९८७.
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