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आगम-साहित्य में कृष्ण कथा
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कृष्ण की मृत्यु
कृष्ण की मृत्यु के सम्बन्ध में उल्लेख है कि एक दिन भगवान् अरिष्टनेमि ने भविष्यवाणी की कि दक्षिण समुद्र की ओर पाण्डुमथुरा जाते हुये कौसाम्बी नामक जंगल में बरगद वृक्ष के नीचे सोते हुये अपने ही भाई जरतकुमार द्वारा छोडे गये बाण के बायें पैर में लगने से कृष्ण की मृत्यु होगी।२४ तदनुसार कृष्ण की मृत्यु हुई और वे बालुकाप्रभ नामक तीसरी पृथ्वी में नैरयिक के रूप में उत्पन्न हुये ।२५ भावी तीर्थ कर कृष्ण
" ठाणं " में आगामी उत्सपि णी काल में तीर्थ कर होने वाले जिन नौ महापुरुषों के नाम गिनाये गये हैं, उनमें कृष्ण का नाम प्रथम है । अत: कृष्ण आगामी उत्सर्पिणी काल में चातुर्याम धर्म की प्ररूपणा कर सिद्ध, बुद्ध, मुक्त, परिनिर्वृत तथा समस्त दुःखों से रहित होंगे।
इस प्रकार हम देखते हैं कि आगम साहित्य में यद्यपि कृष्ण के जीवन से सम्बन्धित घटनाओं का उल्लेख व्यवस्थित रूप में उपलब्ध नहीं हैं, तथापि प्रसंगवश अनेक स्थलों पर उनके सन्दर्भ में आये विविध उल्लेख अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं । क्योंकि उपयुक्त उल्लेखों के आधार पर इस बात को सहज ही कहा जा सकता है कि अतीत भारत की विभूतियों में कृष्ण एक अलौकिक पुरुष के रूप में प्रतिष्ठित हुये हैं और उन्होंने अपने जन कल्याणकारी कार्यो के माध्यम से जन-जन को प्रभावित किया है।
सन्दर्भ ग्रन्थ-सूची गोम्मटसार, जीवकाण्ड, भाग २, डाँ० आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये आदि, भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली, सन् १९७९
उत्तराध्ययनसूत्रम् , भाग २, श्री आत्मारामजी महाराज, खजानचीराम जैन, जैन शास्त्रमाला कार्यालय, लाहोर, सन् १९४१
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