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डॉ. प्रेमसुमन जैन पर भगवान् ऋषभदेव का जन्म चैत्रकृष्णा नवमी ( या अष्टमी) को हुआ है । " एवं उनका निर्वाण माघकृष्णा चतुर्दशी को । श्रावण प्रतिपदा से वर्ष का प्रारम्भ माना जाता है । अत: ऋषभदेव के जन्म से लेकर निर्वाण तक एक वर्ष में १० माह छ दिन का अथवा १ माह ६ दिन का अन्तर है । जबकि ऋषभदेव की आयु ८४ लाख पूर्व वर्ष कही गई है । उसमें माह एवं दिनों का कोई उल्लेख नहीं है । तब ऋषभदेव के जन्म एवं निर्वाण की तिथि एक ही होनी चाहिये चाहे वह चैत्रकृष्ण नवमी हो अथवा माघकृष्णा चतुर्दशी ।
ऋषभदेव के जीवन की प्रमुख तिथियां चैत्रकृष्णा नवमी से जुडी हुई है । उनका जन्म इसी तिथि में हुआ । दीक्षा इसी तिथि को हुई । एक वर्ष के उपवास के बाद पारणा भी इसी दिन चैत्रकृष्णा नवमी को होना चाहिये । अतः उनकी आयु के ८४ लाख पूर्व भी इसी तिथि को पूरे होने चाहिये । इस कार ऋषभदेवकी निर्वाणतिथि चैत्रकृष्णा अष्टमी या नवमी होनी चाहिये । किन्तु इसका उल्लेख किसी ग्रन्थ में प्राप्त नहीं है । अतः इस प्रश्न पर गंभीरता से विचार होना चाहिये ।
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हरिवंशपुराण में जिनसेन ने भगवान ऋषभदेव के गर्भ में अवतरण होने की घटना का वर्णन करते हुए कहा है कि जब तीसरे काल में चौरासी लाख पूर्व तीन वर्ष साढ़े आठ माह बाकी रहे तब आषाढ़ कृष्ण द्वितीया के दिन उत्तराषाढा नक्षत्र में ऋषभदेव का स्वर्गावतरण ( माता के गर्भ में प्रवेश) हुआ और नौ माह पूर्ण होने पर उत्तराषाढ़ नक्षत्र के समय माताने ऋषभ को जन्म दिया । अर्थात् ऋषभदेव के जन्म होने के समय तीसरे काल के ८४ लाख पूर्व तीन वर्ष साढ़े ८ माह में से गर्भकाल के ९ माह की अवधि बीत चुकी थी । जन्म के समय तब तीसरे काल के ८४ लाख पूर्व १ वर्ष साढ़े ११ माह ही शेष बचने चाहिये । जबकि तिलोयपण्णत्ति में कहा गया है कि ऋषभदेव की उत्पत्ति (जन्म)
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