Book Title: Jain Agam Sahitya
Author(s): K R Chandra
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 248
________________ २२४ कमलेशकुमार जैन प्राकृत साहित्य का इतिहास, डाँ० जगदीशचन्द्र जैन, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, १९८५ अन्तगडदसाओ, अगसुत्ताणि, भाग ३, मुनि नथमल, जैन विश्वभारती, लाडनू, संवत २०३१ णायाधम्मकहाओ ( अंगसुत्ताणि, भाग ३ ) लाडनू निरयावलियाओ, ए०एस० गोपानी आदि, सम्भूभाई जगशी शाह, गुर्जर ग्रन्थ रत्न कार्यालय, गांधी रोड, अहमदाबाद, १९३४. ___ठाणं ( ठाणंग ), मुनि नथमल, जैन विश्व भारती, लाडनू, संवत् २०३३ सूयगडो, अंगसुत्ताणि, भाग १, मुनि नथमल, जैन विश्वभारती, लाडनू, संवत् २०३१ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग १, पं० बेचरदास दोशी, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध-संस्थान, वाराणसी, सन् १९६६ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग २, डॉ. जगदीशचन्द्र जैन व डाँ० मोहनलाल मेहता, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध-संस्थान, वाराणसी, सन् १९६६ टिप्पणी १. गोम्भटसार (जीवकाण्ड ), जीवतत्त्वप्रदीपिका, गाथा ३६१-३६२ २. उत्तराध्ययनसूत्रम् , २२-१-२ ३. प्राकृत साहित्य का इतिहास, पृष्ठ १५६ देखिए, हरिव शपुराण, वसुदेवहिण्डी आदि । ५. अतगडदसाओ १-१-८ ६. अतगडदसाओ, १-१-९-११ ७. णायाधम्मकहाओ, १-५-६ ८. अतगडदसाओ, १-१-१४; निरयावलियाओ, प'चमो वग्गो, पृष्ठ ६७. ९. ठाण', ८-५३ १०. स्थानांगवृत्ति, पत्र ४१०, ४११ (ठाण, पृष्ठ ८३० से उद्धृत ) ११. ठाण, १०-८० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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